राम - हनुमान मिलन व राम ने किया रावण का वध के साथ के बाद श्री राम का राज्याभिषेक के साथ श्री राम कथा महोत्स व का समापन। पूर्णाहुति के बाद निकाली शोभायात्रा।


पत्रकार -नारायण शर्मा।

मुरड़ा। मुरड़ा में चल रही नो दिवसीय प्रभु श्री राम कथा महोत्स व का समापन गुरुवार को राम हनुमान मिलन रावण का वध व राम का  राज्याभिषेक के साथ राम कथा महोत्स व का समापन हुआ  गुरुवार को कथा के दौरान संत माधव गोपाल महाराज ने कहा कि   प्रभु श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले शिव की आराधना की फिर उन्होंने लंका की रक्षक देवी की आराधना की, तब कहीं जाकर वे रावण की लंका में प्रवेश कर पाए थे। कहा कि रावण ज्योतिष,व मायावी शक्तियों का स्वामी था

 कहा कि हनुमानजी ने ही प्रभु श्रीराम की अंगूठी को लेकर समुद्र को पार करने के बाद उसे माता सीता को दिया, मेघनाद के पुत्र अक्षय कुमार का वध कर लंका दहन किया, विभीषण और सुग्रीव को राम से मिलाया, राम और लक्ष्मण का अपहरण कर जब अहिरावण पाताल लोक ले गया था, तो उन्हें मुक्त कराया और उन्होंने ही हिमालय से संजीवनी बूटी को लाकर लक्ष्मण की जान बचाई थी।

  राजा दशरथ के मित्र जटायु ने ही सीता को ले जा रहे रावण को रोकने का प्रयास किया और वे मारे गए। जटायु ने राम को पूरी कहानी सुनाई और यह भी बताया कि रावण किस दिशा में गया है इसके बाद संपाती ने अंगद को रावण द्वारा सीताहरण की पुष्टि की थी। संपाती ने ही दूरदृष्टि से देखकर बताया था कि सीता माता अशोक वाटिका में सुरक्षित बैठी हैं।

 बाद में  बाली ने सुग्रीव की पत्नी और संपत्ति हड़पकर उसको राज्य से बाहर धकेल दिया था। यही कारण था कि प्रभु श्रीराम ने सुग्रीव से अपने बड़े भाई बाली से युद्ध करने को कहा और इसी दौरान श्रीराम ने छुपकर बाली पर तीर चला दिया और वह मारा गया। बाली वध के बाद सुग्रीव किष्किंधा के राजा बने और उन्होंने राम के लिए वानर सेना को गठित किया था।

महाराज ने कहा कि जब रावण के पुत्र मेघनाथ ने श्रीराम से युद्ध करते हुए श्रीराम को नागपाश से बांध दिया था, तब देवर्षि नारद के कहने पर गरुड़ ने नागपाश के समस्त नागों को खाकर श्रीराम को नागपाश के बंधन से मुक्त कर दिया था। भगवान राम के इस तरह नागपाश में बंध जाने पर श्रीराम के भगवान होने पर गरुड़ को संदेह हो गया था। अंत में काकभुशुण्डिजी ने राम के चरित्र की पवित्र कथा सुनाकर गरुड़ के संदेह को दूर किया। राम-रावण युद्ध के समय मेघनाद के तीर से लक्ष्मण घायल होकर मूर्छित हो गए थे, ऐसे में सुषेण वैद्य को बुलाया गया। लक्ष्मण की ऐसी दशा देखकर राम विलाप करने लगे। सुषेण ने कहा- 'लक्ष्मण के मुंह पर मृत्यु-चिह्न नहीं है अत: आप निश्चिंत रहिए, आप संजीवनी बूटी का इंजताम कीजिए।' हनुमानजी यह बूटी लेकर आए। यदि सुषेण वैद्य नहीं होते तो लक्ष्मण का जिंदा रहना मुश्किल था और यदि लक्ष्मण का देहांत हो जाता तो संभवत: प्रभु श्रीराम यह युद्ध रोककर पुन: लौट जाते। अत: सुषेण वैद्य की रामकथा में महत्वपूर्ण भूमिका रही।

 संत ने कहा कि  रावण के 10 सिर थे। जिस सिर को राम अपने बाण से काट देते थे पुन: उसके स्थान पर दूसरा सिर उभर आता था। राम द्वारा लाख प्रयास करने के बाद भी जब रावण नहीं मारा गया, तो वानर सेना में चिंता होने लगी थी। रावण ने अमरत्व प्राप्ति के उद्देश्य से भगवान ब्रह्मा की घोर तपस्या कर वरदान मांगा, लेकिन ब्रह्मा ने उसके इस वरदान को न मानते हुए कहा था कि तुम्हारा जीवन नाभि में स्थित रहेगा। यही कारण था कि वानर सेना पर रावण भारी पड़ने लगा था। ऐसे में विभीषण ने राम को यह राज बताया कि रावण का जीवन उसकी नाभि में है। नाभि में ही अमृत है। तब राम ने रावण की नाभि में तीर मारा और रावण मारा गया।

बाद में पुनः भगवान वन से अयोध्या लौटे जहा प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक किया गया बाद में प्रुभ श्री राम की कथा को विराम लगा।

बाद में पांच कुंडीय यघ्य शाला में हवन आहुतियां का दौर चला जिसमे गांव के 25 जोड़ो के यजमानों ने आहुतियां दी बाद में पूर्णाहुति की गई ओर विशेष आरती की गई।

---शोभायात्रा निकाली--प्रभु श्री राम कथा महोत्स व के समापन के अवसर पर गुरुवार को  गाजे बाजे के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली गई जिसमे श्रदालु थिरखते हुए चल रहे थे शोभायात्रा में राम दरबार की झांकी भी सजाई गई शोभायात्रा सभी मोहहले मे होती हुई प्रभु श्री चारभुजा मंदिर पर पहुची ग्रामीणों ने पुष्प वर्षा कर भगवान प्रभु श्री राम का स्वागत किया मंदिर पर विशेष आरती की गई बाद में सभी सेकडो श्रदालु कथा स्थल पहुचे जहा पंगत महाप्रसादी ग्रहण की।

कथा के दोरान आमेट के विकास अधिकारि गो भक्त राकेश पुरोहित, झोर सरपंच शिव चरण सिंह  चौहान, प्रकाश लोहार, आचार्य नंद लाल शर्मा, मुकेश कुमार, गोविंद, केलाश चन्द्र, मांगीलाल शर्मा सहित आसपास व दूरदराज के सैकड़ों श्रदालु मौजूद थे।

फोटो----मुरडा में प्रभु श्री राम कथा महोत्स व का समापन

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