राम-केवट संवाद सुन भाव-विभोर हुए श्रोता। वन चले राम रघु राई----- मुर डा में राम कथा महोत्स व में श्रदालु ले रहे है धर्म लाभ।

पत्रकार-नारायण शर्मा।

मुर डा। कस्बे में  चल रही श्रीराम कथा में कथा वाचक संत माधव गोपाल महाराज   ने  कथा के सातवें दिन  राम-केवट संवाद का श्रृंगारमयी वर्णन किया। महाराज ने कहा  कहा कि एक बार मां भवानी ने भोले शंकर से कहा 'कहहु पुनीत राम गुन गाथा,  राम कथा के श्रवण से कामी, क्रोधी, पापी तर जाते हैं व उनको मोक्ष प्राप्त हो जाते हैं। 

महाराज ने संगीत मय रामायण में जब प्रभु श्री राम 14वर्ष के वन वास की ओर लौट रहे थे उस समय उन्होंने वन चले राम रघुराई भजन पेश किया उस समय पंडाल में उपस्थित सैकड़ो श्रदालुओ की आँखे नम हो गई 

 राजा दसरथ के मंत्री सुमंत भगवान राम,लक्ष्मण, ओर सीता को रथ से वन की ओर छोड़ने के लिए जाते है उस समय अयोध्या वासी उन्हें रोकने का खूब प्रयास किया भगवान राम गंगा पार करने के लिए केवट के पास पहुचे  

 कहा कि जब राम, लखन व सीता पिता के वचनानुसार वनवास के लिए चले तो राम ने गंगा नदी पार करने के लिए निषादराज केवट से नौका मांगी ¨कतु 'मांगी नाव न केवट आना, कहहि तुम्हार मरम मैं जाना।' भगवान शिव के ऐसे प्रसंग को सुनकर गौरा विचलित हो उठी और बोली कि जिस राम ने वामना अवतार में महाराजा बलि से तीन पग में तीनों लोक नाप लिया था तो उनको नौका कि जरुरत क्यों पड़ी। भगवान शिव ने कहा हे महाकाली नौका मांगने के पीछे का रहस्य आज मैं तुम्हे सुनाता हूं सो सुनो। एक बार देवराज इंद्र की सभा में गंधर्व चित्रकेतु गीत सुना रहे थे। वहां सभी देवता व संत ऋषि मौजूद थे। उनमें महाक्रोधी दुर्वासा भी मौजूद थे। गीत चल ही रहा था कि चित्रकेतु से व्यंग हो गया। इस पर दुर्वासा कुपित हो गए तथा चित्रकेतु को वृक्ष होने का श्राप दे दिया। चित्रकेतु के अनुनय-विनय पर दुर्वासा द्रवितभूत हो गए और मुक्ति का मार्ग बताते हुए कहा कि जब राम वनवास के लिए गंगा पार करेंगे तब तुम्हारे वृक्ष की लकडी़ से बनी नौका में पैर रखते ही तुम्हारा उद्धार हो जायेगा। इसलिए हे भवानी भगवान राम ने चित्रकेतु की मुक्ति व दुर्वासा के कथनों को सत्य करने के लिए नौका की मांग की। शैलपुत्री ने कहा वो तो ठीक है पर केवट भगवान को नौका में क्यों नही बैठा रहा था इस पर भोले नाथ ने कहा कि निषाद बहुत ही चालाक था वह उतराई के बदले धन नहीं अपितु स्वयं के भवसागर से उतारने में प्रभु की सहायता की प्रभु के चरण धुलने की मांग कर रहा था, इसलिए नौका नहीं लाया। जब प्रभु ने सारी शर्ते स्वीकार कर ली तो केवट ने भगवान को गंगा पार करा दिया। इस दौरान कथा में पंडित मांगीलाल शर्मा, नंद लाल शर्मा, मुकेश शर्मा, गोविंद शर्मासहित  आयोजक  कई गो भक्त गण ओर आसपास गांवो के सेकड़ो श्रदालु मौजूद रहे।


--कल होंगे हवन अनुष्ठान---मुर डा में चल रही मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम कथा महोत्स व में बुधवार को सुबह पंच कुंडीय यघ्य शाला में मंडप पूजन होगा नवग्रह षोडशमातृका आदि देवी देवताओं की पूजा अर्चना के बाद शाम को 5बजे यघ्य कुंड में अग्नि प्रवेश के साथ हवन अनुष्ठान शुरू होंगे जिसमें गांव के 25 जोड़ो सहित यजमान आहुतियां देंगें कथा महोत्स व में सभी गो भक्त व्यवस्था में लगे हुए है।

फोटो--मुरडा में राम वनवास केवट संवाद प्रसंग में मौजूद सैकड़ो श्रदालु

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